पटना: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और इस बीच राजनीतिक दलों की गतिविधियों ने जोर पकड़ लिया है. इस सियासी माहौल में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं, जब हिमाचल प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) जय प्रकाश सिंह और भोजपुरी सिनेमा के चमकते सितारे रितेश पांडेय ने शुक्रवार को पटना में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. दोनों की यह एंट्री जन सुराज को न केवल संगठनात्मक मजबूती प्रदान कर रही है, बल्कि बिहार की सियासत में एक नया रंग भी जोड़ रही है.
जय प्रकाश सिंह, जिन्हें जेपी सिंह के नाम से भी जाना जाता है, सारण (छपरा) के निवासी हैं और हाल ही में उन्होंने 25 साल की पुलिस सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर अपने गृह राज्य बिहार की सेवा का नया रास्ता चुना. हिमाचल प्रदेश में ADGP के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले जेपी सिंह ने जन सुराज की विचारधारा और प्रशांत किशोर के विजन से प्रभावित होकर यह कदम उठाया. उन्होंने कहा कि मैंने जन सुराज को इसके गठन के समय से ही देखा है. यह पार्टी बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और प्रशांत किशोर एक दूरदर्शी नेता हैं. मैं अपने अनुभव के साथ बिहार के लिए कुछ करना चाहता हूं.
वहीं, रितेश पांडेय, जिन्होंने अपने गीत 'हैलो कौन' से बिहार और पूर्वांचल के युवाओं के दिलों में खास जगह बनाई, ने भी जन सुराज का दामन थामा. रितेश ने कहा कि प्रशांत किशोर का बिहार को बदलने का सपना मुझे प्रेरित करता है. मैं इस मंच के जरिए बिहार के युवाओं और संस्कृति को नई दिशा देना चाहता हूं. उनकी यह एंट्री जन सुराज को भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में युवाओं और सांस्कृतिक मतदाताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
प्रशांत किशोर, जिन्हें देश की कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाने का श्रेय जाता है, ने 2022 में जन सुराज अभियान शुरू किया था. दो साल तक बिहार के गांव-गांव में पदयात्रा कर उन्होंने जनता से सीधा संवाद स्थापित किया. 2 अक्टूबर 2024 को इस अभियान को औपचारिक रूप से जन सुराज पार्टी के रूप में लॉन्च किया गया, जिसका लक्ष्य बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना है. पार्टी को चुनाव आयोग से 'स्कूल बैग' का चुनाव चिह्न मिला है, जो शिक्षा और विकास के प्रति इसके फोकस को दर्शाता है.
प्रशांत किशोर ने जन सुराज को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन का एक मजबूत विकल्प बताते हुए बिहार की सियासत में नया नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश की है. उनकी रणनीति में आम लोगों, खासकर युवाओं, पूर्व अधिकारियों और प्रभावशाली हस्तियों को पार्टी से जोड़ना शामिल है. इससे पहले यूट्यूबर मनीष कश्यप और पूर्व IPS अधिकारी आनंद मिश्रा, जो बक्सर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, भी जन सुराज में शामिल हो चुके हैं. हालांकि, आनंद मिश्रा हाल के दिनों में पार्टी की गतिविधियों से कुछ दूरी बनाए हुए हैं.
जेपी सिंह और रितेश पांडेय का जन सुराज में शामिल होना पार्टी के लिए एक डबल धमाका साबित हो सकता है. जहां जेपी सिंह का प्रशासनिक अनुभव और कानून-व्यवस्था की समझ जन सुराज को संगठनात्मक मजबूती देगी, वहीं रितेश पांडेय की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच, पार्टी को जमीनी स्तर पर जोड़ने में मदद करेगी. प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों का स्वागत करते हुए कहा कि हम उन लोगों को महत्व देते हैं जिन्होंने बिहार के सिस्टम से लड़कर कुछ हासिल किया है. जेपी सिंह ने आर्थिक तंगी के बावजूद भारतीय सेना में सेवा दी और फिर IPS परीक्षा में 59वीं रैंक हासिल की. रितेश पांडेय ने अपनी कला से लाखों लोगों का दिल जीता है. ऐसे लोग जन सुराज की ताकत हैं.
इस मौके पर रितेश पांडेय ने एक तात्कालिक गीत गाकर जन सुराज के 'बिहार की मिट्टी में रोजी-रोटी' के संदेश को और प्रभावी बनाया. यह गीत बिहार के युवाओं को अपनी जमीन पर रोजगार की संभावनाओं के प्रति प्रेरित करने वाला था. जन सुराज ने अपनी स्थापना के बाद से ही बिहार में शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है. पार्टी ने गांधीवादी विचारधारा को अपनाने का दावा किया है, और इसके प्रतीक में महात्मा गांधी और बी.आर. आंबेडकर की तस्वीरें शामिल हैं. जन सुराज ने बिहार के चार विधानसभा उपचुनावों में अपने उम्मीदवार उतारे थे, हालांकि उसे जीत नहीं मिली.
फिर भी, इमामगंज और बेलागंज सीटों पर पार्टी को 10% वोट मिले, जो इसकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है. प्रशांत किशोर ने इसे एक सकारात्मक शुरुआत बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरेगी. बताते चलें कि बिहार की राजनीति में NDA और महागठबंधन जैसे स्थापित गठबंधनों के बीच जन सुराज को अपनी जगह बनाना आसान नहीं होगा. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जन सुराज को 'BJP की बी-टीम' करार देते हुए इसकी मंशा पर सवाल उठाए हैं. इसके बावजूद, प्रशांत किशोर अपनी रणनीति को लेकर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.
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