बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेलवे मंत्री लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव समेत तेज प्रताप यादव के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है. इस मामले में कोर्ट ने सभी को जमानत दे दी है. ईडी ने अगस्त में एक अतिरिक्त चार्जशीट पेश की थी, जिसके बाद तेजस्वी, तेज प्रताप और लालू को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए समन किया गया था.
लालू यादव सोमवार की सुबह अपने बेटों और बेटी मीसा भारती के साथ कोर्ट पहुंचे, उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पिछले साल एक अन्य मामले में सीबीआई द्वारा भी जमानत दी गई थी. इस बार तेज प्रताप को पहली बार गिरफ्तार किया गया है, और उन पर जमीन खरीदने-बेचने में संलिप्त होने का आरोप है.
मीडिया के सवालों के जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश है. उन्होंने कहा कि, यह मामला बिना किसी आधार के है और हम निश्चित रूप से जीतेंगे. कोर्ट ने सभी को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड पर जमानत दी है. इससे पहले, सीबीआई मामले में उन्हें 50,000 रुपये के बांड पर जमानत मिली थी.
सीबीआई ने 18 मई 2022 को एक औपचारिक शिकायत दर्ज की थी, जिसमें रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लिखवाने की जांच की जा रही थी. इसके बाद ईडी ने भी अपनी जांच शुरू की और फर्जी फंड के दुरुपयोग की जांच की. अगस्त में ईडी ने अपनी अंतिम चार्जशीट पेश की, जिसमें कई मामलों का खुलासा किया गया है.
लालू यादव के परिवार के सदस्यों पर आरोप है कि, उन्हें उन व्यक्तियों से बहुत सस्ती दर पर महंगी जमीनें मिलीं, जिन्हें रेलवे में ग्रुप डी कर्मचारियों के रूप में नौकरी दी गई थी. सीबीआई ने सात जमीन खरीद-बिक्री मामलों की पहचान की है, जिनमें से कुछ जमीनें राबड़ी देवी, मीसा भारती और एके इंफोसिस्टम्स के नाम पर रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा, दिल्ली के एक चार मंजिला बंगले को भी जांच में शामिल किया गया है, जिसकी कीमत पिछले साल 150 करोड़ रुपये थी.
इस मामले की सुनवाई अभी भी चल रही है, और आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा. राजनीतिक पृष्ठभूमि और कानूनी पहलुओं के कारण यह मामला मीडिया में लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.