Bullet Train: बुलेट ट्रेन की फाइनल डेट आई सामने, जानिए कब भारत में दौड़ेगे बुलेट ट्रेन?

Rahul Jadaun 24 May 2025 12:44: PM 2 Mins
Bullet Train: बुलेट ट्रेन की फाइनल डेट आई सामने, जानिए कब भारत में दौड़ेगे बुलेट ट्रेन?

Bullet Train: भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना जल्दी ही पूरी होने वाली है, इस ट्रेन के चलने के बाद मुंबई से अहमदाबाद के बीच यात्रियों का सफर कई घंटे कम हो जाएगा, क्योंकि देश की पहली बुलेट ट्रेन इन्हीं दोनों शहरों के बीच चलेगी, जिसके लिए अगले साल ट्रायल रन भी शुरु किया जा सकता है, जबकि 2029 में लोगों को बुलेट ट्रेन में सफर करने का मौका मिलेगा. यही वजह है कि ये परियोजना अब तेजी से अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रही है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इस रूट पर 300 किलोमीटर वायाडक्ट (उपरी पुल) का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

क्या है वायाडक्ट की भूमिका?

बुलेट ट्रेन का बड़ा हिस्सा एलिवेटेड ट्रैक (वायाडक्ट) पर चलेगा ताकि पारंपरिक रेल ट्रैफिक या सड़क मार्ग के साथ कोई टकराव न हो। कुल 508 किलोमीटर की इस हाई-स्पीड रेल लाइन में लगभग 460 किलोमीटर हिस्सा वायाडक्ट पर होगा। NHSRCL के मुताबिक, अब तक 300 किलोमीटर का वायाडक्ट पूरा हो चुका है, जो पूरे प्रोजेक्ट का लगभग 65% है।

कब शुरू होगी ट्रायल रन?

रिपोर्ट्स के अनुसार, बुलेट ट्रेन की ट्रायल रन 2026 की शुरुआत में की जाएगी। यह ट्रायल गुजरात के बिलिमोरा से लेकर सूरत तक के सेक्शन में होगी। इस सेक्शन का कार्य सबसे तेज गति से पूरा किया जा रहा है और इसके 50 किलोमीटर हिस्से को ट्रायल के लिए तैयार किया जा रहा है। NHSRCL ने यह भी बताया है कि कई पियर्स और गार्डर्स पहले से ही इंस्टॉल हो चुके हैं और ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू हो गया है।

पूरी सेवा कब तक होगी शुरू?

हालांकि पहले इस परियोजना को 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब अनुमान है कि पूरी बुलेट ट्रेन सेवा 2028 तक शुरू की जाएगी। इसमें महाराष्ट्र और गुजरात के बीच कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें मुंबई, ठाणे, वापी, सूरत, बड़ौदा और अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।

तकनीकी विशेषताएं और गति

बुलेट ट्रेन जापानी तकनीक पर आधारित शिंकानसेन मॉडल की तर्ज पर बनाई जा रही है। इसकी अधिकतम गति 320 किमी/घंटा होगी और यह दो शहरों के बीच की दूरी मात्र 2 से 3 घंटे में तय करेगी। यह न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि भारत में हाई-स्पीड रेल के युग की शुरुआत भी करेगी।

पर्यावरण और सुरक्षा के उपाय

परियोजना के तहत पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा गया है। जहां भी ज़रूरी हुआ, वहां एलिवेटेड ट्रैक बनाया गया है ताकि ज़मीन अधिग्रहण की जरूरत कम हो और स्थानीय निवासियों को न्यूनतम परेशानी हो। इसके अलावा, जापानी इंजीनियरिंग के सहयोग से भूकंप-रोधी तकनीकें भी अपनाई जा रही हैं।

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