
नई दिल्ली: ये हैं बरेली की मुन्नी देवी, जिनके खिलाफ न तो कोई मुकदमा दर्ज था, और ना ही कोई वारंट निकला था, फिर भी परसाखेड़ा के चौकी प्रभारी सौरभ यादव पुलिसकर्मियों के साथ इनके घर में घुस जाते हैं, मुन्नी देवी को जीप में बिठाते हैं, और गिरफ्तार कर थाने ले आते हैं. कहते हैं आपके खिलाफ वारंट है, महिला न तो कुछ कह पाती है, और ना ही समझ पाती है, घरवाले जब थाने जाते हैं, तो दारोगाजी हनक के साथ वारंट दिखाते हैं,, और यहीं पूरी पोल-पट्टी खुल जाती है, क्योंकि वारंट में जिस मुन्नी का जिक्र था वो दूसरी महिला था, उसके पति का नाम भी दूसरा था, यहां तक कि उसका धर्म भी दूसरा था, तो फिर दारोगाजी को कंन्फ्यूजन हुआ कैसे, ये सबसे बड़ा सवाल है, तो इस बात पर आएं उससे पहले सुनिए जिस निर्दोष महिला को 4 दिन तक बेवजह जेल में बंद रखा गया, उसने छूटते ही क्या कहा?
न्यूज 18 उसके हवाले से लिखता है... ''मेरे गांव का नाम बंडिया है, यहां कि एक मुस्लिम महिला का नाम मुझसे मिलता-जुलता है. पुलिस ने बिना जांच किए बिजली चोरी के जुर्म में मुझे गिरफ्तार कर चार दिन के लिए जेल में डाल दिया. पुलिस को जब पता चला कि मैं निर्दोष हूं और आरोपी महिला कोई और है तो मुझे और मेरे परिवार के अन्य लोगों को शिकायत न करने के लिए डराया-धमकाया. पूरे चार दिन बाद जेल से छूट पाई हूं.
यानि दारोगा औऱ सिपाहियों ने गलती के बाद भी अपनी हनक दिखाई है, ये इशारा कर दिया है कि अगर इस गलती की पोल-पट्टी खोली तो फिर जेल में डाल दूंगा, लेकिन सवाल है कि यूपी में कानून का राज है या पुलिस का, जो किसी को उठाकर कोई ऐसे ही जेल में बंद कर देगा, जिस कोर्ट ने मुन्नी के खिलाफ वारंट जारी किया था, वहां तक जैसे ही ये बात पहुंची जज साहब ने स्पष्टीकरण मांग लिया, और पूरी कहानी जब खुली तो बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य को जांच का आदेश जारी करना पड़ा, दारोगा ने माफी मांग ली है, लेकिन क्या ये माफी काफी होगी, क्या वो महिला जिसने कोई गुनाह नहीं किया उसे 4 दिन तक बेवजह जेल में बंद करने का कोई हर्जाना मिलेगा, क्योंकि ये मामला सिर्फ कंफ्यूजन का नहीं बल्कि भारी ब्लंडर का है.
मीडिया रिपोर्ट बताती है कि मुन्नी नाम की महिला जिसके पति का नाम छोटे शाह है, उसके खिलाफ 2020 में बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज हुआ था, 13 अप्रैल को कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. सीबीगंज थाने की परसाखेड़ा पुलिस चौकी के इंचार्ज को वारंट लेकर छोटे शाह के घर जाना था, लेकिन वो दूसरी मुन्नी देवी के घर चले गए और चार दिन उसे जेल में बंद भी रखा. इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई तरीके के सवाल खड़े कर दिए हैं.