नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर अपनी बात रखी. इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी. उमर ने साफ कहा कि वह इस दुखद घटना को राजनीतिक रंग नहीं देंगे और न ही 26 निर्दोष लोगों की मौत के बदले केंद्र शासित प्रदेश के लिए राज्य का दर्जा मांगेंगे. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर ने इस हमले की कड़ी निंदा की और गहरे दुख का इजहार किया. उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा हासिल करना उनकी पार्टी का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, लेकिन वह इसे इस त्रासदी के साथ नहीं जोड़ेंगे.
उमर ने कहा, "मेरी राजनीति इतनी सस्ती नहीं है कि मैं 26 लोगों की जान की कीमत पर राज्य का दर्जा मांगूं." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस दुखद घटना का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं करेंगे. उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था का जिम्मा उनकी सरकार के पास नहीं है, लेकिन वह इस स्थिति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा नहीं मांगेंगे. उन्होंने कहा, "मैं मृत लोगों के शवों पर राज्य का दर्जा नहीं मांगूंगा. हम इसे किसी और मौके पर मांगेंगे."
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य राज्य का दर्जा (Statehood) की मांग लंबे समय से केंद्र सरकार और विपक्षी दलों के बीच विवाद का विषय रही है. 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से यह मुद्दा और गर्म हो गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य स्थानीय दल लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते रहे हैं. हालांकि, उमर ने साफ कर दिया कि वह इस संवेदनशील समय में इस मांग को नहीं उठाएंगे, क्योंकि ऐसा करना उन लोगों की मौत का राजनीतिकरण करना होगा, जो इस हमले में मारे गए.
उमर अब्दुल्ला का यह बयान उनकी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को दर्शाता है. उन्होंने एक नेता के तौर पर यह संदेश दिया कि मानवीय मूल्यों और नैतिकता को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए. यह बयान न केवल जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण है कि संकट के समय में एकजुटता और संवेदना सबसे जरूरी है. उमर ने यह भी दिखाया कि वह अपनी मांग को सही समय और सही मंच पर उठाएंगे, लेकिन इस दुखद मौके पर नहीं.