नई दिल्ली: हिमालय की गोद में छिपी गंगा की उत्पत्ति अब गंभीर संकट में है. वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की आधी सदी से ज्यादा लंबी रिसर्च (1973-2024) ने खुलासा किया है कि भागीरथी घाटी के ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहे हैं – न सिर्फ लंबाई में, बल्कि बर्फ की परतें भी पतली पड़ रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय जर्नल Results in Earth Sciences में छपी इस रिपोर्ट में पहली बार गोमुख के पास गंगोत्री ग्लेशियर की मोटाई पर फोकस किया गया. 1973 से 2000 तक बर्फ पिघलने की रफ्तार महज 0.10 मीटर सालाना थी, लेकिन 2000 के बाद यह स्पीड कई गुना बढ़ गई है. वैज्ञानिक इसे बढ़ते तापमान और बदले बारिश पैटर्न का सीधा असर बता रहे हैं.
संस्थान के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश भांबरी ने चेताया, ''यह सिर्फ बर्फ नहीं पिघल रही, गंगा का भविष्य दांव पर है.'' उनके मुताबिक, 238 ग्लेशियरों का यह बेसिन गंगा को जिंदा रखता है. अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले दशकों में पानी की भारी किल्लत हो सकती है.
पंजाब यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के साथ मिलकर की गई यह स्टडी सरकार के लिए वेकअप कॉल है. डॉ. भांबरी ने जोर दिया कि ग्लेशियरों की लगातार मॉनिटरिंग और जलवायु बचाव की ठोस योजनाएं तुरंत चाहिए, वरना गंगा की धारा सूखने की कगार पर पहुंच जाएगी.