सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के जज द्वारा एक महिला वकील के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट से इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा. शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से भी कोर्ट की सहायता करने को कहा.
कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जज के दो वीडियो क्लिप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आए थे. एक वीडियो में उन्हें एक महिला वकील के खिलाफ लैंगिक रूप से असंवेदनशील टिप्पणी करते हुए सुना गया था. दूसरे वीडियो में जज ने कथित तौर पर बेंगलुरु के मुस्लिम बहुल इलाके को पाकिस्तान कहा था.
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 25 सितंबर को सूचीबद्ध किया है और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से प्रशासनिक निर्देश प्राप्त करने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी है. शीर्ष अदालत ने आगे टिप्पणी की कि सोशल मीडिया के युग में न्यायपालिका पर कड़ी नज़र रखी जाती है और न्यायाधीशों को उसी के अनुसार कार्य करना होता है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा है कि वह कुछ बुनियादी दिशा-निर्देश निर्धारित कर सकती है. पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वे कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा की गई अनावश्यक टिप्पणियों और जिसके वीडियो अब प्रसारित हो रहे हैं, के कारण एकत्रित हुए हैं.
न्यायाधीश के वीडियो क्लिप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सामने आए हैं, जिसमें कई प्रमुख अधिवक्ताओं ने उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान कार्रवाई की मांग की है. इनमें अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने वीडियो क्लिप साझा करते हुए एक पोस्ट में लिखा है कि हम भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस न्यायाधीश के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने और उन्हें लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण के लिए भेजने की मांग करते हैं.