माफिया मुख्तार के दो बेटों के साथ 48 घंटे के भीतर कुछ ऐसा हुआ कि घरवाले समझ नहीं पा रहे हैं, मातम मनाए या खुशी, एक तरफ बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है...तो वहीं दूसरे बेटे उमर के साथ बड़ा खेल हो गया है. पहले अब्बास के साथ क्या हुआ, वो सुनिए, फिर पिता की तरह उमर अंसारी की मूंछों पर तांव देती नई तस्वीर और उसकी कहानी बताते हैं. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अब्बास अंसारी को दो मामलों में जमानत दी है.
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने सारी दलीलें सुनने के बाद कहा अब्बास को जांच में सहयोग करना होगा. पहला मामला ईडी की ओर से दायर PMLA के मामले की है, जिसमें अब्बास जेल में बंद है, जबकि दूसरा मामला चित्रकूट जेल में बंद रहने के दौरान पत्नी निकहत अंसारी से अवैध मुलाकात का है, इसमें भी अब्बास को जमानत दी जाती है.
पत्नी से अवैध मुलाकात का मामला इतना तूल पकड़ चुका था कि कुछ ही दिनों में अब्बास की जेल बदल दी गई. चित्रकूट जेल से सीधा उसे कासगंज शिफ्ट कर दिया गया था. उसके बाद जमानत के लिए अब्बास ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 मई को अब्बास अंसारी को जमानत देने से इनकार कर दिया था. हालांकि दो मामलों में जमानत के बाद भी अब्बास को जेल से रिहाई नहीं मिलेगी, क्योंकि गैंगस्टर एक्ट के मामले में अदालत ने जमानत नहीं दी है. जिसका सीधा सा मतलब है अब्बास फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएगा.
चूंकि अब्बास अंसारी ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा से विधायक है और सुभासपा फिलहाल योगी सरकार में सहयोगी पार्टी के तौर पर शामिल है, तो सामने से भले ही ओपी राजभर खुशी नहीं जताएं, लेकिन अंदर ही अंदर अपने विधायक को जमानत मिलने पर खुश तो जरूर होंगे. क्योंकि कहते हैं सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता. जो राजभर अपनी पार्टी से अब्बास को टिकट देते हैं, वही राजभर अब्बास के जेल जाने के बाद ये कहते हैं कि अब्बास अंसारी हमारे नहीं समाजवादी पार्टी के हैं. मुझे खत्म करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चाल चली थी.
सपा ने डमी प्रत्याशियों को टिकट दिलवाकर हमें खत्म करने की कोशिश की थी. सपा से समझौते में 12 सीटें दी गईं. उसी में अब्बास थे और सिंबल हमारा था. अब्बास सपा का झंडा लगाकर घूमते हैं. मतलब राजभर इन्हें अब अपना नहीं मानते, क्योंकि ये बात यूपी का हर नेता जानता है योगी के साथ रहना है, तो माफिया का साथ छोड़ना होगा. बड़ी बात ये है कि जमानत की ख़बर मिलने से दो दिन पहले ही अब्बास और उसके भाई उमर को मऊ की एक अदालत में पेश किया गया था. जहां पिता की तरह ही मूंछों पर तांव देता उमर अंसारी कोर्ट में पहुंचा तो सबकी निगाहें उसकी ओर टिक गईं थीं.
पूरा मामला 2022 विधानसभा चुनाव का है, जिसमें जब अब्बास अंसारी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषण में अधिकारियों के साथ हिसाब-किताब करने की बात कही थी. अब्बास ने कहा था कि यूपी में अखिलेश यादव की सरकार बनने पर पहले अधिकारियों से हिसाब लिया जाएगा, उसके बाद उनका ट्रांसफर और पोस्टिंग होगा. इसे लेकर सिपाही अजय यादव का बयान कोर्ट में दर्ज हुआ और अगली सुनवाई की तारीख 23 अक्टूबर मुकर्रर की है.