राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने 100 वर्षों में कौन से रिकॉर्ड बनाए? जानिए इसके स्थापना से लेकर आज तक का सफर

Global Bharat 31 Dec 2024 02:58: PM 4 Mins
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने 100 वर्षों में कौन से रिकॉर्ड बनाए? जानिए इसके स्थापना से लेकर आज तक का सफर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने अपने प्रसिद्ध विजयादशमी संबोधन में संघ की शताब्दी यात्रा पर महत्वपूर्ण बातें साझा की. उन्होंने संघ के 100 वर्षों के सफर और इसके योगदान पर प्रकाश डाला, साथ ही संगठन के भविष्य की दिशा को लेकर अपनी दृष्टि व्यक्त की. इस अवसर पर डॉ. भागवत ने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के दृष्टिकोण को याद करते हुए, उनके द्वारा निर्धारित उद्देश्य और संघ के आदर्शों को फिर से उजागर किया. उन्होंने संघ की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भूमिका को रेखांकित करते हुए उसके कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), जो दुनिया की सबसे बड़ी गैर-सरकारी संस्था है, साल 2026 में उसे पुरे 100 वर्ष पुरे हो जाएंगे. आइए जानते हैं कि RSS ने 100 वर्षों में क्या-क्या रिकॉर्ड्स स्थापित किए और इसकी स्थापना किस तरह हुई थी.

RSS की स्थापना: 100 साल पहले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. 'डॉ. हेडगेवार' को 'डॉक्टरजी' के नाम से भी जाना जाता था. हेडगेवार का उद्देश्य था हिंदू समाज को एकजुट करना और भारत की सांस्कृतिक पहचान को फिर से जीवित करना. डॉ. हेडगेवार ने इस संगठन की स्थापना करते हुए यह निर्णय लिया था कि समाज में बदलाव लाने के लिए एक सशक्त, अनुशासित और समर्पित कार्यकर्ताओं का समूह तैयार किया जाए.

डॉ. हेडगेवार ने संघ को इस प्रकार तैयार किया कि इसका मुख्य उद्देश्य समाज सेवा, देशभक्ति और हिंदू धर्म के मूल्यों को बढ़ावा देना हो. वे मानते थे कि हिंदू समाज में आत्मनिर्भरता और एकता की आवश्यकता है, जिससे देश को शक्तिशाली बनाया जा सके. इस प्रकार, RSS ने अपनी यात्रा शुरू की थी, और आज यह विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था बन चुकी है.

RSS का विस्तार और रिकॉर्ड्स

RSS के स्थापना के 100 सालों में संघ ने कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड्स स्थापित किए हैं. आज यह संस्था केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है.

1. संघ की शाखाओं का विशाल नेटवर्क
RSS की सबसे बड़ी ताकत इसके शाखाओं का विशाल नेटवर्क है. 2024 के मार्च में आयोजित RSS के प्रतिनिधि सभा की बैठक के अनुसार, पूरे भारत में संघ की 73,117 शाखाएँ हैं. ये शाखाएँ 922 जिलों, 6597 ब्लॉकों और 27,720 मंडलों में फैली हुई हैं. प्रत्येक मंडल में 12 से 15 गांव आते हैं, और संघ के कार्यकर्ता इन गांवों में समाज सेवा, शिक्षा और अन्य विकास कार्यों में संलग्न रहते हैं.

2. संघ की 100 साल की यात्रा
RSS के इतिहास में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन संघ ने कभी हार नहीं मानी. 1948, 1975 और 1992 में संघ को तीन बार प्रतिबंधित किया गया, लेकिन संघ हर बार और भी मजबूत होकर उभरा. संघ की स्थिरता और समर्पण इसका सबसे बड़ा रिकॉर्ड है, जो यह साबित करता है कि इसका कार्यकर्ता अपने उद्देश्य के प्रति कितना प्रतिबद्ध है.

3. हिंदू समाज के एकीकरण में भूमिका
RSS ने भारतीय समाज को एकजुट करने के लिए कई कदम उठाए हैं. यह संगठन सभी जातियों और पंथों से ऊपर उठकर केवल भारतीय संस्कृति और सभ्यता को प्राथमिकता देता है. संघ का मुख्य उद्देश्य एक सशक्त और समर्पित हिंदू समाज का निर्माण करना है. RSS ने हमेशा अपने कार्यकर्ताओं को यह सिखाया है कि जातिवाद, भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों से ऊपर उठकर समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना चाहिए.

4. संघ के प्रचारक और उनकी सेवा
RSS के प्रचारक, जिन्हें संघ के 'स्वयंसेवक' या 'प्रचारक' कहा जाता है, संगठन की सबसे बड़ी ताकत हैं. ये स्वयंसेवक अपने जीवन को पूरी तरह से संघ के लिए समर्पित करते हैं और समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. संघ के प्रचारक का मुख्य कार्य न केवल शाखाओं की गतिविधियों को संचालित करना है, बल्कि वह समाज में समर्पण और देशभक्ति की भावना का प्रचार-प्रसार भी करते हैं.

5. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि RSS ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या भूमिका निभाई. हालांकि, संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी. डॉ. हेडगेवार ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई क्रांतिकारियों और नेताओं के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई. डॉ. हेडगेवार के नेतृत्व में संघ ने न केवल राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय योगदान दिया.

RSS का दृष्टिकोण: 'हिंदू' क्या है?
RSS के लिए 'हिंदू' केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विचारधारा का प्रतीक है. डॉ. हेडगेवार और उनके अनुयायी हिंदू विचारधारा को इस प्रकार देखते हैं कि यह न केवल धर्म, बल्कि एक जीवंत संस्कृति है जो भारत की संप्रभुता और एकता को बढ़ावा देती है. RSS के प्रमुख विचारकों में स्वामी विवेकानंद, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महर्षि अरविंद शामिल हैं, जिनकी विचारधारा से संघ का दृष्टिकोण प्रभावित हुआ.

RSS का लक्ष्य और उद्देश्य
RSS का मुख्य उद्देश्य एक सशक्त और समृद्ध भारत का निर्माण करना है, जिसमें हर नागरिक का कल्याण हो. RSS हमेशा कहता है कि इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, लेकिन इसके कार्यकर्ता राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं. संघ का मानना है कि भारत को प्रगति के लिए एक सशक्त हिंदू समाज की आवश्यकता है, जो हर जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एकता की भावना को बढ़ावा दे.

RSS की शताब्दी यात्रा यह साबित करती है कि संघ ने अपनी स्थापना के बाद से देश को कई महत्वपूर्ण बदलावों का गवाह बनाया है. इसके कार्यकर्ताओं का समर्पण और मेहनत आज भी संगठन को मजबूती दे रही है. संघ ने न केवल भारत के अंदर, बल्कि दुनिया भर में अपने कार्यों और विचारों से अपनी पहचान बनाई है. 100 वर्षों की इस यात्रा ने RSS को भारतीय समाज के सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली संगठनों में से एक बना दिया है, और इसके भविष्य में और भी बड़े बदलाव और सुधार की उम्मीद की जा सकती है.

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