इन 5 वजहों से CJI चंद्रचूड़ ने बदलवाई कानून की देवी की मूर्ति, एक-एक वजह सैल्युट करने वाली है!

Abhishek Chaturvedi 17 Oct 2024 03:23: PM 2 Mins
इन 5 वजहों से CJI चंद्रचूड़ ने बदलवाई कानून की देवी की मूर्ति, एक-एक वजह सैल्युट करने वाली है!

नई दिल्लीः जो कहते थे कानून की देवी अंधी हैं, वो अब ऐसा नहीं कह पाएंगे, क्योंकि सीजेआई चंद्रचूड़ ने कानून की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटवा दी है, और नई तस्वीर आपके सामने है. लेकिन इस तस्वीर में गौर करने वाली कुछ और बातें भी हैं. जिसके बारे में पहले सुनिए फिर बताते हैं किन 5 वजहों से ये मूर्ति बदली गई और ये बदलना कितना बड़ा ऐतिहासिक फैसला है.

पुरानी तस्वीर जब आप देखेंगे तो उसमें कानून की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती थी, एक हाथ में तलवार नजर आता था, जिसका मतलब था सजा सख्त होगी, तेज होगी और अंतिम होगी. और उनका जो लिबास था वो विदेशी नजर आता था, कई लोग इस मूर्ति को मिस्त्र की देवी मात और ग्रीक देवी थेमिस के नाम से जानते थे. लेकिन जब आप नई तस्वीर देखेंगे तो उसमें कानून की देवी साड़ी पहनी नजर आती हैं, उनकी आंखों पर कोई पट्टी नहीं है, जिसका सीधा संदेश है, वो खुली आंखों से सबकुछ देखती हैं, और इंसाफ देती हैं, अब तलवार की बजाय संविधान है.

ख़बर है सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद ऑर्डर देकर ये मूर्ति बनवाई है, और ये मूर्ति फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है. लेकिन इसकी जरूरत क्यों महसूस हुई, जब आजादी के 78 सालों तक पुरानी मूर्ति की परंपरा चल ही रही थी, तो फिर बदलने की मांग क्यों उठी, तो इसके पीछे 5 बड़ी वजह समझ आती है.

  • पहली वजह- मोदी सरकार देशभर से गुलामी की निशानियां हटा रही है, अंग्रेजों के जमाने के कई कानून बदले गए, और अब रोम सभ्यता की मूर्ति का बदलना इस ओर इशारा करता है.
  • दूसरी वजह- नई मूर्ति से ये संदेश जाता है कानून अंधा नहीं है, बल्कि वो सबको समान नजर से देखता है, चाहे वो गरीब हो या अमीर, दलित हो या पिछड़ा.
  • तीसरी वजह- हमारे यहां कानून की देवी सजा नहीं इंसाफ देती हैं, इसलिए हाथ में तलवार नहीं बल्कि संविधान पकड़ाया गया.
  • चौथी वजह- हिंदुस्तान का पारंपरिक वस्त्र साड़ी है, ऐसे में न्याय की देवी की मूर्ति को साड़ी पहनाकर सांस्कृतिक संदेश देने की कोशिश है.
  • पांचवीं वजह- जब कानून हिंदुस्तान का, संविधान हिंदुस्तान का तो फिर कानून की मूर्ति विदेश की तरह दिखने वाली क्यों?

हो सकता है कुछ लोग इस पर सवाल उठाएं, या कुछ लोग कमेंट कर तरह-तरह की बातें लिखें, लेकिन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने वो फैसला लिया है, जो सुप्रीम कोर्ट के कोई भी मुख्य न्यायाधीश अब तक नहीं ले पाए, डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने रिटायरमेंट से ठीक एक महीने पहले ये फैसला लेकर अपना नाम न सिर्फ हिंदुस्तान के इतिहास में अमिट कर दिया है, बल्कि हिंदुस्तान में विदेशी संस्कृति और सभ्यता की बात करने वालों को बड़ा संदेश भी दे दिया है. पर एख सवाल अभी भी कई लोगों के दिमाग में है कि तमाम हाईकोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी में ही सुनवाई क्यों होती है, हिंदुस्तान की बड़ी अदालतों में भी हिंदी में सुनवाई क्यों नहीं होती, करीब एक महीने पहले ऐसी ख़बरें सामने आई थी कि एक वकील ने जब हिंदी में दलील रखनी शुरू की तो दो जजों की बेंच ने बकायदा ये कहा कि कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है, इसलिए आप अंग्रेजी में ही अपनी बात रखें. उसके बाद अंग्रेजी में ही दलीलें पेश की गईं और फिर सुनवाई पूरी हुई, लेकिन हिंदुस्तान का एक तबका आज भी इस इंतजार में है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में कभी सुनवाई संभव हो पाएगी. 

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