उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला, जिसके कई गांव जंगल से ढंके हैं, वहां लोग डर के साए में जी रहे हैं, आधी रात को भेड़िया आता है, बच्चों को उठा ले जाता है, सुबह घरवाले शोर मचाते हैं, भेड़िए के पैरों का निशान देखते हैं, और सिस्टम को कोसकर फिर खुद ही पहरेदारी करने लगते हैं, बीते 40-50 दिनों से यही सिलसिला बहराइच के करीब 32-34 गांवों में चल रहा है, करीब 50 हजार लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं. यहां तक कि खुद विधायक एक दिन बंदूक लेकर उतर गए, वन विभाग की टीम ने ड्रोन से निगरानी की, पर नतीजा ढांक के तीन पात ही रहा, जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि जंगल का शिकारी पूरे सिस्टम पर कैसे भारी पड़ गया, क्या सच में भेड़िया ही है या कहानी कुछ और है, हमने जब ये पड़ताल करने की कोशिश की तो कुछ तस्वीरें और कुछ बयान सामने आए.
इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि ये किसी जानवर के पैरों के निशान हैं, आसपास जंगल है तो भेड़िया, तेंदुआ, बाघ, शेर कुछ भी हो सकता है, बहराइच से थोड़ी दूर बसे पीलीभीत जिले में टाइगर रिजर्व भी है, तो वहां से भी ऐसी घटनाएं पहले सामने आ चुकी हैं, पैरों के निशान जंगली जानवर की ओर इशारा करते हैं, लेकिन सवाल ये है कि ड्रोन की निगरानी के बाद भी कोई भेड़िया पकड़ में क्यों नहीं आया, यूपी के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना कहते हैं, हम लोग जल्द सारे भेड़ियों को पकड़ लेंगे.
वन विभाग की करीब 5 अलग-अलग टीमें इसकी तलाश में जुटी है, आधी रात को हाथों में टॉर्च और लाठी लेकर लोग पहरेदारी कर रहे हैं, क्योंकि पूरे इलाके में एक नहीं बल्कि 9 भेड़ियों के होने की बात कही जा रही है.
आंगन में घुसकर कर रहा शिकार
शुरुआत में जब स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत की तो वन विभाग और पुलिस की टीम ने ये कहकर भगा दिया कि ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन जब मामले बढ़ने लगे तो वन विभाग के अधिकारियों के भी होश उड़ गए. करीब 15 दिनों में पूरे विभाग ने एक्टिव होकर तीन भेड़ियो को पकड़ा, पर सवाल है बाकी के 6 आदमखोर कहां हैं, जो न ड्रोन की निगरानी में दिख रहे हैं, और ना ही वन विभाग के बड़े-बड़े अधिकारी उसे पकड़ पा रहे हैं. ऐसी हालत में आपको क्या करना है, ये जान लीजिए.
भेड़िए से कैसे करें अपनों का बचाव
पर्यावरण प्रेमी कहते हैं कि जंगलों की कम होती संख्या इनके शहरों की ओर भागने की मुख्य वजह है, इसलिए इंसानों को अपने विकास के साथ-साथ इनके रहने वाली जगहों का भी ख्याल रखना होगा, पर हैरानी इस बात की है कि लाखों करोड़ों का फंड जारी होने के बाद भी कुछ लोग ठीक से काम करना नहीं चाहते, उत्तराखंड से कुछ दिनों पहले ऐसी ख़बर सामने आई थी कि वहां की वन विभाग की टीम 200 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं कर पाई, उसने 200 करोड़ रुपये सरकार को वापस लौटा दिए, जिसके बाद सरकार ने उन अधिकारियों से डिटेल मांग ली, जिन्होंने काम नहीं किया.