
....ये हैं पूर्व सांसद अनिल शुक्ला, जो कानपुर के एक थाने में धरने पर बैठे हैं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को फोन कर कहते हैं कि कहिए तो राजनीति छोड़ दें या यहीं रस्सी मंगवा लें. इनका गुस्सा इस बात पर है एक इंस्पेक्टर ने इनके लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा लिखा है. ये हालत तब है जब इनकी पत्नी प्रतिभा शुक्ला योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं. महिला-बाल कल्याण विकास विभाग की जिम्मेदारी उनके पास है, लेकिन अपने ही लोगों के कल्याण को लेकर थाने में धरना दे रही हैं.
करीब 6 घंटे तक इन्होंने गुरुवार को थाने में धरना दिया, वहां मौजूद सीओ ने समझाने की कोशिश की. फिर भी मंत्री साहिबा नहीं मानीं. यहां तक कि डीएम-एसपी के समझाने पर भी धरना चलता रहा और आखिर में इस बात पर सहमति बनी कि कोतवाली प्रभारी पर एक्शन होगा. मंत्री प्रतिभा शुक्ला का आरोप है कि अकबरपुर कोतवाली प्रभारी सतीश सिंह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर एससी/एसटी एक्ट का झूठा मुकदमा दर्ज किया है. इंस्पेक्टर ने किसके दबाव में केस लिखा, ये योगीजी की सरकार है, सपा की सरकार नहीं है.
ख़बर है बाबूराम गौतम नाम के व्यक्ति ने 5 लोगों के खिलाफ जमीन विवाद में जातिसूचक शब्द कहने और मारपीट की धमकी की शिकायत दी थी. ये पांचों मंत्री के साथ रहते हैं. केस दर्ज होते ही मंत्री और उनके पति अकबरपुर कोतवाली पहुंच गए और शाम 4 बजे से रात करीब 10 बजे तक धरने पर बैठे रहे, जब तक कि ये आश्वासन नहीं मिल गया कि कोतवाली प्रभारी पर एक्शन होगा. धरना खत्म होने की सुबह ही ये ख़बर आती है कि कोतवाली प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया है. जांच के बाद आगे कार्रवाई हो सकती है. उधर इस मसले पर सियासत भी तेज हो गई है.
अखिलेश यादव ने वीडियो शेयर कर लिखा है, ''सत्ताधारी राज्यमंत्री महोदया ख़ुद ही अपनी पुलिस की करतूतों के ख़िलाफ़ धरना दे रही हैं. मुख्यमंत्री जी को कुछ और सबूत चाहिए क्या. भाजपा जाएगी तो पुलिस व्यवस्था आएगी''. जबकि प्रतिभा शुक्ला के पति अनिल शुक्ला ने तो वहां के सांसद देवेन्द्र सिंह भोले को ये तक कह दिया कि पत्नी मंत्री न होती तो खुद ही लोकसभा का चुनाव लड़कर उन्हें सियासी हैसियत बता देता.