संदीप शर्मा
400 सीट का नारा धड़ाम हुआ तो RSS एक सीट का फॉर्मूला लेकर आया? लखनऊ से 2300 किलोमीटर दूर ऐसा क्या हो रहा था कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव के भी कान खड़े हो गए? जिस केरल में बीजेपी और RSS के 300 ज्यादा कार्यकर्ता की राजनीतिक हत्या हुई, वहां मोहन भागवत कौन सा रास्ता दिखाना चाहते हैं? केरल में ऐसा क्या हैं जो बीजेपी के भविष्य को बचा सकता है? जो UP में होने वाले चुनाव को बदल सकता है?
जिस बीजेपी के पास 240 सीटें हैं उस बीजेपी को RSS एक सीट वाला मॉडल क्यों समझा रही है? RSS ऐसा क्या दिखाना चाहता हैं जो BJP मोदी के राज़ में 10 में सत्ता में रहकर भी नहीं देख पाई..अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव की पूरी टीम RSS की पलक्कड़ में हो रही बैठक पर क्यों रिसर्च कर रही है? इस बात को समझने के लिए पहले केरल में बीजेपी की इतिहास में पहली जीत और RSS की नींव पर बात करनी होगी?
RSS क्या बताना चाहता है ये आपको समझना होगा? मोदी और शाह की जोड़ी RSS की कौन सी बात नहीं समझ पा रहा है ये सब केरल की बैठक में ही कैसे छिपा है? केरल में सबसे बड़ी आबादी मुसलमानों की है, दूसरें नंबर पर इसाई है, जबकि तीसरे नंबर पर हिन्दू आते है? यानी UP के संभल और रामपुर से भी अलग मिजाज़ केरल का है? लेकिन ऐसा क्या है जो खुली आंखों से बीजेपी नहीं देख पाई? जो बीजेपी कार्यकर्ता नतीजों के बाद से डर रहे हैं क्या RSS उन्हें ये दिखाना चाहता है, शेर के मुंह में हाथ डालकर कैसे जबड़ा खिंचा जाता है?
जिसका नतीजा ये है कि समाज में दो तरीके के लोग एक्टिव हो चुके हैं, पहले वो जो चाहते हैं बीजेपी को जातिवाद की जाल में ऐसा उलझाया जाए कि वो हिंदुत्व की राह भूल जाए और दूसरे वो जो बीजेपी को दोबारा स्थापित होने से रोकना चाहते हैं, और आरएसएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो कैसे दुनिया को फिर से ये बताए कि दुनियाभर में हिंदुओं की रक्षा करने वाली अगर कोई पार्टी है तो वो इकलौती बीजेपी ही है. बांग्लादेश पर योगी का दिया गया ये बयान जिसमें योगी ने कहा कटेंगे तो बंटेंगे, शायद आरएसएस के इशारे पर ही दिया गया बयान था. इसीलिए सियासी गलियारों में अब ये चर्चा भी खुलकर होने लगी है कि आरएसएस ने इस मीटिंग के बाद अपनी नई त्रिमूर्ति ढूंढ ली है, जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं, जो हार्ड हिंदुत्व के रास्ते बीजेपी को दोबारा 2014 वाले युग में पहुंचाएंगे. और ये तभी हो पाएगा जब पार्टी त्रिशूर वाले फॉर्मूले पर काम करेगी.
क्या है त्रिशूर फॉर्मूला
जो ये बताने के लिए काफी है कि केरल में कमल खिलाने के लिए आरएसएस कितनी मेहनत कर रहा है. ये वही केरल है, जहां के मसालों की खुशबू सूंघकर विदेशी हिंदुस्तान आए और हम पर ही राज करने लगे, इसलिए इस केरल में भगवा को मजबूत कर आरएसएस मिशन अखंड भारत शुरू होने का एक बड़ा संदेश भी देना चाहती है. इसके अलावा सूत्र ये भी बताते हैं कि मोहन भागवत ने इस मीटिंग में 10 मुद्दों पर बड़ी गहराई से मंथन किया. जिसमें 2024 चुनाव के नतीजे, बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत, देशभर में बढ़ रहे महिलाओं के खिलाफ मामले, जलवायु संकट और आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण का मुद्दा शामिल था.
बीजेपी के जो नेता इन मुद्दों को तेजी से उठा रहे हैं, उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, चाहे वो निशिकांत दूबे जैसे सांसद हों या योगी आदित्यनाथ जैसे सीएम. इस मीटिंग के बाद आरएसएस ने इस बार साफ कर दिया है कि 2024 चुनाव में हमने डिफेंसिव मोड में रहकर जो गलती की है, वो अब नहीं दोहरानी है. हमें जनता को साफ-साफ बताना है कि सेना और राष्ट्र के लिए हमने क्या किया. देश की आंतरिक सुरक्षा से लेकर बाहरी सुरक्षा तक को कितना मजबूत किया.
आप शायद ये जानकर हैरान हो जाएं कि RSS जिसमें सभी जातियों के लोग होते हैं, उसका कोई भी अध्यक्ष अब तक पिछड़ा नहीं बना. अब तक 5 अध्यक्ष ब्राह्मण और 1 ठाकुर रहे हैं, फिर भी किसी तरीके का कोई सवाल नहीं है. हो सकता है राहुल गांधी इसे लेकर भी आने वाले दिनों में सवाल उठाएं, लेकिन राहुल-अखिलेश का जवाब अब कैसे देना है, ये प्लान आरएसएस ने इस बार बड़ी सटीक तरीके से बनाया है.