प्रेमानंद महाराज को पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया फोन, कहा- मैं आपके चरणों के धूल के बराबर भी नहीं!

Global Bharat 17 Jun 2024 06:30: PM 2 Mins
प्रेमानंद महाराज को पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया फोन, कहा- मैं आपके चरणों के धूल के बराबर भी नहीं!

पंडित प्रदीप मिश्रा और स्वामी प्रेमानंद महाराज के बीच चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है, और इसमें बड़ी भूमिका निभाई मध्य प्रदेश सरकार के एक बड़े मंत्री ने. ख़बर है कि जिस दिन प्रेमानंद महाराज ने पंडित प्रदीप मिश्रा को श्राप दिया, उसके अगले ही दिन कैलाश विजयवर्गीय ने ओंकारेश्वर में पंडित प्रदीप मिश्रा से मुलाकात की, दोनों की मुलाकात होटल के एक कमरे में हुई, जहां कैलाश विजयवर्गीय ने सीधा स्वामी प्रेमानंद महाराज को फोन मिलाया, और पंडित प्रदीप मिश्रा से बात करवाई, तब जाकर स्वामी प्रेमानंद महाराज का गुस्सा शांत हुआ. उससे पहले प्रदीप मिश्रा अपनी बात पर अड़े हुए थे औऱ कह रहे थे राधारानी का जन्म बरसाने में नहीं हुआ, इसका सबूत मेरे पास है, लेकिन महाराज से बात करने के बाद उनके सुर बदल गए और कहा "ये वीडियो 14 साल पुराना है, कमलापुर में कथा के दौरान मैंने ये कहा था, जिसे कांट-छांटकर किसी विधर्मी ने वायरल कर दिया. इसी वीडियो को देखकर देश के महान संत प्रेमानंद महाराज ने भी मुझे दोषी मान लिया, जबकि सनातन धर्म के ऐसे महान विभूति को मैं दंडवत प्रणाम करता हूं, मैं तो उनके चरणों के धूल के बराबर भी नहीं हूं. ऐसे संत परमात्मा को बारंबार प्रणमाम है. महाराज ने अपने इस दास को एक बार बोला तो होता तो वह महाराज जी के चरणों में दौड़े चले जाते."

पंडित प्रदीप मिश्रा का ये सरेंडर बताता है कि दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद खत्म हो गया है, और संतों में किसी तरह का विवाद होना भी नहीं चाहिए, क्योंकि इसका फायदा फिर कुछ लोग गलत तरीके से उठाने लगते हैं. प्रदीप मिश्रा ने चूंकि अपने कथा के दौरान ये कह दिया था कि राधेरानी का जन्म बरसाने में नहीं बल्कि कहीं और हुआ था, इसलिए स्वामी प्रेमानंद महाराज भड़क उठे थे और इतना गुस्सा हुए थे कि ऐसा गुस्सा उन्हें पहले कभी नहीं देखा गया. तब महाराज ने कहा था " श्रीजी के विषय में बोलने से पहले बहुत होश में बोलना, तुम किस राधा की बात करते हो, राधा को जान जाओगे तो आंसुओं से वार्ता होती है, वाणी मूक हो जाती है. कह रहा है कि बृषभानू कुल बरसाने में श्रीजी की उपस्थिति ही नहीं है, वो तो कभी-कभी. यहां क्या कह रहा है कि जो प्रकट हुईं सदा प्रकट हैं, लाडली जू महल में नित्य विराजमान हैं. नेत्र हैं उसके, कभी गया है बरसाने. क्या जानते हो तुम, कैसे तुम्हें बताऊं, कितने ग्रंथ पढ़ा है उसने, ये चापलूसी संसार वालों को तुम रिझा सकते है, लेकिन कभी श्रीजी के विषय में कोई न बोले, कहीं ऐसा न समझे देख लेना वो किसी काम का नहीं रहेगा, ये श्राप नहीं है, परिणाम बोल रहा हूं, माइक से बोल रहा हूं, चिल्लाकर बोल रहा हूं, कोई नहीं बचा पाएगा उसे. या तो जाए बरसाने साष्टांग दंडवत होकर घुटने टेक दे, मेरे से गलती हो गई आपकी महिमा को नहीं जानता. तो अत्यंत दयालु-कृपालु लाडली क्षमा. ऐसे तुम बोलना चाहो जो चाहो बोल लो कि राधारानी बहुत भोली-भाली हैं, हां हैं बहुत भोली, पर उनके सेवक ऐसे काल के भी महाकाल हैं, पिकदानी लिए खड़े रहते हैं श्रीकृष्ण. बहुत बड़ी ठेस पहुंची है हमारी हृद्य में. ऐसों को बैठाकर भागवत सुनोगे तो पुरखा नरक जाएंगे."
 

प्रेमानंद महाराज ने सीधा पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा पर ही सवाल उठा दिया था, जिसे सुनने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा को मानने वाले लोग भी यही कह रहे थे कि इन्हें माफी मांग लेनी चाहिए.

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