नई दिल्ली: मध्य प्रदेश मुरैना जिले से एक गंभीर आरोप सामने आया है, जहां 27 गैर-रजिस्टर्ड मदरसों में 556 हिंदू छात्रों को बिना माता-पिता की सहमति के इस्लामी ग्रंथों की शिक्षा दी जा रही है. दावा किया जा रहा है कि यह सब धर्म बदलने की सुनियोजित योजना का हिस्सा है. इस घटना ने राज्य स्तर पर राजनीतिक हलचल मचा दी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 24 सितंबर 2025 को एक शिकायत के आधार पर मामला गंभीरता से लिया है.
आयोग ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है. संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लेख करते हुए NHRC ने एक संयुक्त जांच दल गठित करने, प्रभावित बच्चों को तत्काल सुरक्षित स्थानांतरित करने और 11 अक्टूबर तक पूरी रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है. भोपाल की हुजूर सीट से बीजेपी के विधायक रामेश्वर शर्मा ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है.
उन्होंने कहा कि किसी भी हिंदू, जैन, बौद्ध या सिख परिवार के बच्चों को मदरसों में इस्लामी शिक्षा देना अस्वीकार्य है. शर्मा ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से तुरंत जांच शुरू करने की मांग की, साथ ही ऐसी संस्थाओं को सील करने की बात कही.
दूसरी ओर, कांग्रेस के विधायक पीसी शर्मा ने सत्ताधारी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर कानून तो बना रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही. उन्होंन कहा कि शिक्षा विभाग आखिर क्या कर रहा है, अगर मदरसों में हिंदू बच्चे ही पढ़ रहे हैं? उन्होंने सवाल उठाया और कहा कि यह सब जनता को असल समस्याओं से भटकाने वाली राजनीति का खेल है.