नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सिलावद क्षेत्र में BJP के मंडल अध्यक्ष अजय यादव के खिलाफ एक महिला हेड कांस्टेबल ने गंभीर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई है. इस घटना पर आदिवासी समुदाय के लोग आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, जबकि पुलिस कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई की बात कर रही है.
इसी कड़ी में, आरोपी का एक वीडियो बयान भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. कोतवाली थाने के इंचार्ज दिनेश सिंह कुशवाहा के अनुसार, 30 साल की इस महिला कांस्टेबल की शिकायत पर 18 सितंबर को सिलावद के रहने वाले अजय यादव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 74, 75, 78, 296, 351(3) तथा SC-ST एक्ट की धाराओं 3(1)(द), 3(1)(ध) और 3(2)(वा) के तहत मामला दर्ज किया गया.
महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि 1 सितंबर को अजय यादव ने उसके ट्रांसफर को बड़वानी जिले के अंजड़ में कराने का वादा किया था. पूर्व मंत्री प्रेम सिंह पटेल के करीबी बताए जाने वाले यादव ने दावा किया था कि वह उसे सिलावद में ही पोस्टिंग दिला देंगे. लेकिन 17 सितंबर की दोपहर को आरोपी ने उसका पीछा किया, कार में सवार हो गया और ड्राइवर सीट के बगल वाली जगह पर बैठकर अश्लील हरकतें कीं. उसने महिला से कहा, "तुम मुझे अच्छी लगती हो, मेरे साथ चलो."
इधर, स्थानीय आदिवासी संगठनों ने इस मामले का पुरजोर विरोध जताते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने आरोपी को नोटिस देकर छोड़ने पर सख्त आपत्ति जताई और तुरंत गिरफ्तारी पर जोर दिया. कोतवाली प्रभारी कुशवाहा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि शिकायत मिलते ही FIR दर्ज कर ली गई थी. 19 सितंबर को आरोपी को थाने बुलाकर BNS की धारा 41(1)(4) के तहत नोटिस जारी कर छोड़ दिया गया.
गिरफ्तारी न करने के कारण पर कुशवाहा ने कहा कि ये सभी धाराएं यौन उत्पीड़न से जुड़ी हैं, जहां अधिकतम सजा सात साल तक हो सकती है. ऐसे केसों में सुप्रीम कोर्ट के 'अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य' फैसले का अनुसरण करना जरूरी है. इस फैसले के मुताबिक, सात साल या उससे कम सजा वाले मामलों में आरोपी को पहले थाने बुलाकर जांच की जाती है और जरूरी शर्तों पर छोड़ दिया जाता है, जिसमें कोर्ट में पेश होने का वादा शामिल होता है.
उन्होंने जोड़ा कि चेकलिस्ट के आधार पर ही यह कदम उठाया गया. क्षेत्र के वरिष्ठ वकील अजय मित्तल ने पुलिस की इस कार्यवाही को पूरी तरह वैध ठहराया. उन्होंने बताया कि यौन उत्पीड़न के केसों में सुप्रीम कोर्ट की किसी गाइडलाइन में आरोपी की अनिवार्य गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है. मित्तल ने धाराओं का विवरण देते हुए कहा कि धारा 74 महिलाओं के सम्मान पर हमले या जबरदस्ती से जुड़ी है, जिसमें एक से पांच साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.
धारा 75 में अनचाही यौन सलाह, शारीरिक छुअन या टिप्पणियां आती हैं, जबकि धारा 78 महिलाओं का लगातार पीछा करना और परेशान करना कवर करती है. दूसरी ओर, अजय यादव ने अपने वीडियो में पूरी घटना को सुनियोजित राजनीतिक साजिश करार दिया. उन्होंने दावा किया कि घटनास्थल पर CCTV कैमरे लगे हैं, जो सच्चाई सामने ला देंगे. यादव ने कहा कि 17 तारीख की बताई जा रही घटना की जानकारी महिला ने 18 सितंबर को ही पुलिस को दी.
उन्होंने खुद को आदिवासी समाज के विकास के लिए समर्पित बताते हुए कहा कि वह क्षेत्र में इसी काम के लिए सक्रिय हैं. कांग्रेस के जिला प्रमुख नानेश चौधरी और बड़वानी के विधायक राजन मंडलोई ने एक प्रेस वार्ता में आरोपी के दावों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह अजय यादव और महिला कांस्टेबल के बीच का निजी मामला है, जिसमें कांग्रेस की कोई संलिप्तता नहीं है.