नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज बेलगावी में एक सार्वजनिक रैली के दौरान सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) नारायण भरमानी को लगभग थप्पड़ मारने की कोशिश की. यह घटना उस समय हुई जब रैली स्थल पर कुछ हंगामा और व्यवधान हुआ. सिद्धारमैया को वहां एक सार्वजनिक सभा में भाषण देना था. एएसपी नारायण भरमानी को मंच की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उसी समय, पास में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महिला कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रही थीं.
हंगामे और व्यवधान से नाराज सिद्धारमैया ने गुस्से में अपना हाथ उठाया और नारायण भरमानी को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई. उन्होंने एएसपी को मंच पर बुलाया और सख्त लहजे में पूछा, ''तुम, चाहे जो भी हो, यहां आओ, तुम क्या कर रहे थे?'' इतना कहते हुए सिद्धारमैया ने गुस्से में भरमानी को थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया, लेकिन आखिरी पल में उन्होंने खुद को रोक लिया.
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यह पूरी घटना बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के बाद हुई. रैली स्थल पर मौजूद भीड़ ने इस घटना को देखा, जिसके बाद यह मामला चर्चा का विषय बन गया. सिद्धारमैया का यह व्यवहार कई लोगों को गलत लगा, क्योंकि उन्होंने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने की कोशिश की. इस घटना के बाद, जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस ने सिद्धारमैया की कड़ी आलोचना की. जेडीएस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सिद्धारमैया पर अभद्र व्यवहार और घमंड का आरोप लगाया.
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पार्टी ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी पर इस तरह हाथ उठाना और अपमानजनक तरीके से बात करना ''अक्षम्य अपराध'' है. जेडीएस ने अपनी पोस्ट में लिखा, “आपका सत्ता का कार्यकाल सिर्फ 5 साल का है, लेकिन एक सरकारी अधिकारी 60 साल की उम्र तक सेवा देता है. सत्ता किसी के पास हमेशा नहीं रहती. अपने गलत व्यवहार को सुधारें.'' इस पोस्ट में सिद्धारमैया को उनके व्यवहार के लिए चेतावनी दी गई.
जेडीएस ने कहा कि उन्हें अपनी गलती सुधारनी चाहिए. यह घटना न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है. कई लोग सिद्धारमैया के इस व्यवहार को गलत मान रहे हैं, क्योंकि एक मुख्यमंत्री को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए. वहीं, कुछ लोग इसे गुस्से का एक पल मानकर इसकी अनदेखी करने की बात कह रहे हैं. इस घटना ने सत्ता और अधिकार के दुरुपयोग पर भी सवाल उठाए हैं.