| अमेरिका तक भूचाल,संसद से पास हुआ इमिग्रेशन कानून,शाह का रोहिंग्याओं पर भयंकर एक्शन नेहरू की सरकार में UN का दखल, भारत में बढ़ने लगे शरणार्थी. शाह के प्लान से दुश्मन साफ! |
नई दिल्ली: आज भारत की अपनी नीति है, राष्ट्र की सुरक्षा हो या राष्ट्र की सीमा का मुद्दा, भारत का अपना स्टैंड है. संसद में अमित शाह ने एक ऐसे कानून का जिक्र कर दिया है, जो हिन्दुस्तान की सियासत को 360 डिग्री घुमा देगा. पिछले 11 साल से BJP सत्ता में है. हर चुनौती को पार करने वाले अमित शाह से देश को इंतज़ार था कि वो घुसपैठिओं पर कब एक्शन लेंगे? रोहिंग्याओं का क्या करेंगे?
27 मार्च को हाथों में पेपर लेकर शाह संसद में खड़े होते हैं. राष्ट्र की सुरक्षा के सवाल पर वो गुस्से से लाल हो जाते हैं. POK का सवाल हो तो शाह कहते हैं हम जान भी दे देंगे. ठीक ऐसे ही रोहिंग्याओं के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री ज़ोर से कहते हैं, भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि जिसका मन करे अपना ठिकाना बना ले? बता दें कि संसद की पटल पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इमिग्रेशन और फॉरेनर्स बिल 2025 रखा था, जिस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी बात रखी और ममता बनर्जी सरकार को आड़े हाथों लिया.
अचानक शाह रोहिंग्याओं पर क्यों भड़के? इसके पीछे की वजह क्या है? दो हफ्ते पहले दिल्ली में नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अधिकारियों के साथ शाह एक मैराथन मीटिंग करते हैं, ठीक उसके कुछ दिन बाद संसद में ये सवाल उठाते हैं कि भारत कोई धर्मशाला थोड़ी है. इस पूरी कहानी को हम समझाते हैं? भारत के किन सात राज्यों में शाह का बुलडोज़र चलेगा. ममता बनर्जी, केजरीवाल, अखिलेश यादव क्यों परेशान हैं, वो आकड़ा देखिए जिसने देश को कमज़ोर करने की हर कोशिश की, जिसके बाद शाह को कहना पड़ा कि भारत धर्मशाला नहीं है.
इन आंकड़ों को देखने के बाद ये समझ में आ गया होगा कि इसपर लगाम लगाना कितना जरूरी था, और इसीलिए संसद में पास हुए बिल में काफी कड़े प्रोविजन रखे गए हैं...
सीधे तौर पर कहानी एकदम साफ है, भारत में ममता बनर्जी हो या फिर लिबरल गैंग का कोई नेता वो बांग्लादेशियों को बुलाता है, उनके आधार कार्ड बनाता है. उन्हें अपने वोट बैंक हिस्सा बनाता है. सत्ता में बैठ जाता है. अमित शाह ने साफ कह दिया कि ममता बनर्जी ज़मीन नहीं दे रही हैं, जिसके कारण बांग्लादेश की सीमा पर 450 किलोमीटर की सीमा खुली है...वहां से अवैध बांग्लादेशी आते हैं, उनका आधार कार्ड बनाया जाता है, वो पूरे देश में फैल जाते हैं, यहां तक कि दिल्ली तक आते है. भारत को तोड़ने के पीछे ये घुसपैठिया मुख्य जिम्मेदार कहे जाते है. जब मेवात में दंगा हुआ था तब रोहिंग्याओं का मुद्दा उठा था. लेकिन तब कानून नहीं था. अब शाह ने देश को एक ऐसा कानून दिया है, जो न सिर्फ दुश्मनों को खदेड़ देगा. बल्कि हम रहे या ना रहे देश रहना चाहिए वाली बात भी साकार होगी. बंगाल की सियासत घूम गई हैं, ममता बनर्जी इस कानून का तोड़ नहीं खोज पाएंगी.
27 मार्च को गृह मंत्रालय की तरफ से एक X पर एक पोस्ट किया जाता है. जिसमें लिखा है...बांग्लादेशी या रोहिंग्या जब घुसपैठ करते हैं, तो इन्हें आधार कार्ड कौन देता है? जितने भी बांग्लादेशी पकड़े गए हैं, उनमे से अधिकांश के पास 24 परगना का आधार कार्ड और वोटर कार्ड पाया गया...अगर बंगाल सरकार आधार कार्ड जारी न करे, तो एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता.
सीधी सी बात है, सियासत में कुर्सी के लिए हमारे देश के कई नेता ख़ास तौर से ममता बनर्जी देश की सुरक्षा और अखण्डता के साथ समझौता करती है. इसलिए अमित शाह को ऐसा कानून लाना पड़ा कि अब भारत की तरफ कोई नहीं देख पाएगा. घुसपैठिएं हो या फिर बांग्लादेशी पत्थरबाज़ हर किसी का इलाज अब आसान हो जाएगा. क्योंकि भारत महान था. महान हैं. और महान रहेगा...जब कोई तोड़ने वाला नेता आता है. देश को जोड़ने वाले नेता भी आते हैं. वो अमित शाह हो या फिर मोदी.
यह भी पढ़ें: केंद्रीय कर्मचारियों को मोदी सरकार की सौगात, महंगाई भत्ते में 2% की बढ़ोतरी
यह भी पढ़ें: बार-बार क्यों आते हैं भूकंप, भारत के किस-राज्य पर मंडरा रहा खतरा, और कैसे बचें?