पाकिस्तान की लगी क्लास, मोदी के फोन की आस में यूक्रेन, ट्रंप का टूटा टैरिफ घमंड, एक दौरे से मोदी ने साधे कई निशाने

Abhishek Chaturvedi 31 Aug 2025 09:14: PM 2 Mins
पाकिस्तान की लगी क्लास, मोदी के फोन की आस में यूक्रेन, ट्रंप का टूटा टैरिफ घमंड, एक दौरे से मोदी ने साधे कई निशाने

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी SCO समिट में हिस्सा लेने और द्विपक्षीय मीटिंग के बाद हिंदुस्तान लौट रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ 6 दिन तक चीन में रहेंगे, क्या कर्जा मांगने के लिए ज्यादा दिन तक शहबाज रुकेंगे या फिर शहबाज की भयंकर क्लास लगने वाली है, क्योंकि एक हफ्ते पहले ही चीन ने अपने एक मंत्री को पाकिस्तान भेजा था, जिसके बाद करीब 100 अरब का कर्ज पाकिस्तान ने लौटाया है, ऐसे में नए कर्जे का तो सवाल पैदा नहीं होता, फिर शहबाज वहां क्या करेंगे, औऱ मोदी ने जिनपिंग को ऐसी कौन सी बात बताई है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की क्लास लग सकती है, इसे समझने के लिए ये जानना होगा कि मोदी ने कैसे चीन जाकर तीन निशाने साधे हैं.

पहला- RIC यानि रूस, चीन और भारत की तिकड़ी का संदेश देकर ट्रंप को बता दिया टैरिफ से हम डरने वाले नहीं है, ये वो तीनों देश हैं जो मिल जाएं तो किसी की भी दादागिरी खत्म कर सकते हैं.

दूसरा- चीन पहुंचते ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने मोदी को कॉल किया, मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी, जिसका मतलब है यूक्रेन इस आस में है कि मोदी पुतिन से बात करें और शांति समझौते पर फाइनल मुहर लगाएं.

तीसरा- चीन चूंकि भारत से रिश्ते सुधारना चाहता है, तो ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को न सिर्फ अपनी हरकतें सुधारनी होंगी बल्कि आतंकवाद को मिटाने में साथ देना होगा, भारत को पीओके लौटाना होगा, जिसका इशारा मोदी ने चीन की धरती से भी कर दिया है.

लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि मोदी ने जब ये कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन हमारा साथ दे, तो चीन ने भी कहा इस मुद्दे पर वो भारत के साथ खड़ा है. जिसका सीधा सा मतलब है पाकिस्तान ने अगर कोई हरकत की तो चीन उसका साथ नहीं देगा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जैसे चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया, औऱ उसके बाद भारत ने ये खुले तौर पर ऐलान किया कि पाकिस्तान के किसी भी आतंकी गतिविधि को युद्ध के समान समझा जाएगा, उस दौर में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाएगा. इसीलिए चीन के दबाव में अब पाकिस्तान को भारत से न सिर्फ रिश्ते सुधारकर रखने होंगे, बल्कि भारत की हर शर्त भी माननी होगी.

भारत खुद चीन के पास नहीं गया है, बल्कि चीन ने रिश्ते सुधारने की पहले पहल की थी, मार्च महीने में जिनपिंग ने ट्रंप के टैरिफ के बाद भारत की राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी थी, उसके बाद मोदी तक वो चिट्ठी पहुंचाई गई, ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई, और फिर मोदी के चीन दौरे का प्लान बना. जहां के तिनजियांग में मोदी ने SCO समिट में हिस्सा लेकर ये साफ कर दिया भारत अपनी हितों पर बात करने को तैयार है, हम किसी भी देश के साथ संबंध बिगाड़ना नहीं चाहते, लेकिन अगर कोई हमें चुनौती देता है तो हम जवाब देने को हर वक्त तैयार रहते हैं. वैश्विक रिश्तों की ये सबसे खास बात है कि वो वक्त के हिसाब से बदलती रहती है, जिस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा तंज कसते हुए कहते हैं पहले मोदी कहते थे ट्रंप इज माई फ्रेंड अब कह रहे जिनपिंग इज माई फ्रेंड, पर बाकी मसलों का क्या.

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