नई दिल्ली: क्या लालू यादव एंड फैमिली के साथ इस चुनाव में केजरीवाल वाला होने जा रहा है? क्या लालू के दोनों लाल तेजस्वी और तेजप्रताप अपने ही पिता का किला नहीं बचा पाएंगे? क्या बाबा बागेश्वर के बिहार दौरे से इसी बात की बौखलाहट आरजेडी नेताओं में हैं, जरा इस बात का इन तीन तस्वीरों से समझिए. पहली तस्वीर है बाबा बागेश्वर के गोपालगंज में आयोजित कथा पंडाल की, जहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं.

दूसरी तस्वीर है इसी पंडाल से कई किलोमीटर दूर बने लालू यादव के पैतृक घर की, फुलवरिया गांव में बने इस घर के बाहर आज भी वो चबूतरा मौजूद है, जहां बैठकर लालू राजनीति की बातें किया करते थे, मां से बेहद लगाव था, तो मां की आदमकद प्रतिमा घर में ही बनवा दी, जिसकी तस्वीरें देखकर आप लालू का गोपालगंज से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं. जानकार कहते हैं नीतीश के सत्ता में आने के बाद भी लालू की अपने इलाके में पकड़ कमजोर नहीं हुई.

मुस्लिम यादव समीकरण के सहारे उन्होंने साल 2020 चुनाव में बड़ा खेल किया था, और इस बार 2025 के चुनाव में भी बड़ी तैयारी में हैं, लेकिन बाबा बागेश्वर जैसे बीते कुछ दिनों में दो बार बिहार पहुंचे, पहले पटना में 10 लाख की भीड़ उमड़ी और अब गोपालगंज में कथा करने पहुंचे, उसने आरजेडी की टेंशन बढ़ा दी, क्योंकि बाबा बागेश्वर हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं, जिसका सियासी मतलब निकालें तो इसका नुकसान आरजेडी को होना तय है. बिहार की आबादी करीब 13 करोड़ है, जिसमें से 14 फीसदी आबादी यादवों की है, यानि करीब 2 करोड़ से ज्यादा वोट पर आरजेडी अपना अधिकार मानती है, लेकिन बाबा बागेश्वर की कथा से जैसे ही हिंदू एकजुट होंगे, आरजेडी के हाथ से ये वोटर्स छिटक सकते हैं.
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बीजेपी ने यही प्रयोग दिल्ली चुनाव में भी किया था, आपको याद होगा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में सनातन धर्म संसद का आयोजन हुआ, हिंदू राष्ट्र की मांग उठी, तमाम बाबा आए, और अब बाबा बागेश्वर भी ये कह रहे हैं कि हिंदू राष्ट्र की पहली मांग बिहार से ही उठेगी, तो क्या आने वाले दिनों में बिहार में कोई धर्मसंसद होने जा रही है, हिंदुओं को एकजुट करने के लिए संतों को आगे आकर बीजेपी दिल्ली वाला फॉर्मूला लागू करने जा रही है, ये बड़ा सवाल है, अगऱ ऐसा हुआ तो आरजेडी और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा.
कुछ महीने पहले 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे ये इशारा करते हैं कि मुस्लिम और यादव बाहुल्य सीटों पर भी आरजेडी अपना पकड़ खोती जा रही है, क्योंकि बिहार जाति-पाति की सियासत से ऊपर उठना चाहता है, जिसका फायदा नीतीश और बीजेपी को मिल सकता है, शायद यही वजह है कि आरजेडी विधायक चंद्रशेखर ये तक कहते हैं कि बाबा बागेश्वर संविधान विरोधी बातें करते हैं, वो आसाराम और राम रहीम की कैटेगरी वाली बाबा हैं, उन्हें जेल में डाल देना चाहिए. लेकिन सवाल है कि बाबा बागेश्वर पर क्या ऐसा कोई मुकदमा है, जो व्यक्ति हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहा है, लोगों को सनातन से जोड़ रहा है, उससे किसी को क्या खतरा हो सकता है. बाबा बागेश्वर तो ये तक कहते हैं कि हमें अगर बिहार आने से रोकोगे तो यहीं बस जाएंगे, ऐसे में इस विवाद को समझने के लिए जरा लालू के दोनों लड़कों की विधानसभा सीट देखिए.
लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने साल 2015 में पहले वैशाली जिले के महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, फिर साल 2020 में समस्तीपुर के हसनपुर से लड़े और अब 2025 में फिर महुआ से ल़ड़ना चाहते हैं, जिस पर हंगामा मचा है. वहां से आरजेडी विधायक मुकेश रोशन का क्या होगा, ये सवाल हर कोई पूछ रहा है. जबकि लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव राघोपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं, ये लालू परिवार की पारंपरिक सीट है, यहां से दो बार लालू खुद जीते, जबकि तीन बार उनकी पत्नी राबड़ी देवी जीतीं.
लेकिन इस बार खेल पलट सकता है, क्योंकि बीजेपी के साथ मिलकर इस बार जेडीयू लालू से उनका किला छीनना चाहेगी, इसीलिए तेजस्वी को शायद अखिलेश की तरह नमाज और इफ्तार ज्यादा पसंद आने लगा है. पर इंदिरा गांधी की तरह साधू-संतों का श्राप इस बार आरजेडी को भारी पड़ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो फिर घोटाले के आरोपी केजरीवाल वाला हाल लालू का भी हो सकता है. बस अंतर इतना ही है कि यहां केजरीवाल के हाथ में सत्ता थी, और वहां तेजस्वी सत्ता हासिल करना चाहते हैं.